इशरत की मां और बहन दोनों दिल्ली में हैं. वे दिल्ली में इशरत के नाम पर लगे आतंकवाद का दाग मिटाने की कोशिश कर रही हैं. इशरत की मां शमीमा कौशर और बहन मसर्रत दोनों ने मीडिया के लोगों से बात की. उनकी पूरी बातचीत का लब्बोलुआब यह था कि अल्लाह के लिए इशरत को आतंकवादी मत कहिए. उनकी इस पीड़ा में जहां एक ओर बेटी के दामन पर लगे दाग को छुड़ाने की चिंता दिखती है तो वहीं दूसरी ओर वे नष्ट होते अपने वर्तमान को भी बचाना चाहती हैं. घर में कोई कमानेवाला नहीं है. बाप के मरने के बाद इशरत ही पूरा परिवार पालती थी. इशरत के जाने के बाद उसके भाई को नौकरी तो मिली लेकिन जैसे ही पता चला कि वह इशरत का भाई है उसे नौकरी से निकाल दिया गया.
इसलिए जब वे कहते हैं कि जून 2004 में अहमदाबाद में फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां रजा के मामले में इंसाफ मिलने तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, तो उनका अतीत और वर्तमान दोनों ही जुड़ जाता है। जुडीशियल मजिस्ट्रेट एस.पी. तमांग की जांच रिपोर्ट पर लगे गुजरात हाईकोर्ट के स्टे को खारिज कराने के लिए आजकल शमीमा की मां सुप्रीम कोर्ट आई हैं। बुधवार को राजधानी की मीडिया से पहली बार मुखातिब इशरत जहां की मां शमीमा कौसर और बहन मसर्रत को तकलीफ है कि मीडिया ने इशरत को आतंकवादी घोषित कर दिया जबकि गुजरात पुलिस ने उसे फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। उनका कहना है कि शायद इसकी वजह सच्चाई की जानकारी का अभाव था। पत्रकारों से बातचीत के दौरान अपना पक्ष रखने की कोशिश के साथ-साथ इशरत के परिवार ने यह भी फैसला किया है कि मीडिया में जो कुछ पुलिस और गुजरात सरकार के हमदर्द राजनेताओं ने कुप्रचार कर रखा है, उसे साफ भी करेंगे। उनकी इस मुहिम में उनके शुभचिंतक अब्दुल रऊफ लाला एडवोकेट, मुन्ना साहिल और बृंदा ग्रोवर मदद कर रहे हैं।
नई दिल्ली में शबनम हाशमी के संगठन अनहद में अवामे हिंद से एक खास मुलाकात में इशरत की मां ने बताया कि उनकी लड़की बिलकुल निर्दोष थी। कहीं किसी भी झमेले से दूर। उसे पुलिस ने बेवजह पकड़ा। जैसा कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि उसको मारापीटा और बाद में आतंकवादी बताकर मार डाला। उन्होंने इस बात को भी गलत बताया कि इशरत की मौत के बाद परिवार का बहिष्कार किया गया और मकान मालिक ने घर खाली करवा लिया। इशरत की बहन मर्सरत का कहना है कि घर इसलिए खाली किया कि उसे घर में रहते हुए पापा कि और इशरत की मौत हुई। मन उचट गया था। पुलिस ने मीडिया को यह भी बता रखा था कि इशरत की मौत के बाद उनके इलाके मुंब्रा के लोगों ने उनसे किनारा कस लिया था। उनके वकील रऊफ लाला ने बताया कि उसके जनाजे में करीब दो लाख लोग शामिल हुए जिसमें करीब 8000 औरतें थीं। कई पार्टियों के नेता भी आये। रऊफ लाला ने बताया कि उनका इलाका ठाणे के क्राइम ब्रांच के अंदर पड़ता है। वहां के डीसीपी, सूर्यवंशी साहब ने बार-बार कहा है कि इशरत के खिलाफ उनके पास कोई केस नहीं है। मसर्रत ने बताया कि इलाके में इशरत आपा की बहुत इज्जत थी क्योंकि वे पढ़ाती बहुत अच्छा थीं। मसर्रत कहती हैं आपा अपने किसी बच्चे पर कभी हाथ नहीं उठाती थी. आप ही सोचिए, क्या वे आतंकवादी हो सकती हैं?
परिवार का दावा है कि एक सीधी सादी लड़की को पुलिस ने दहशतगर्द साबित करने की कोशिश की है। इशरत, खालसा कालेज में बी.एस.सी. के दूसरे साल की छात्रा थीं। वहां वे एक दिन भी अनुपस्थित नहीं हुईं। मुंब्रा के नामी यूनीक क्लासेस में ट्यूशन पढ़ाती थीं वहां भी कभी अनुपस्थित नहीं हुईं। मुहल्ले में सभी उनको एक अच्छी बच्ची के रूप में याद करते है। मूल रूप से बिहार के पटना के रहने वाले इशरत के माता-पिता, सात बच्चों के परिवार की देखभाल कर रहे थे। बच्चों के पिता के मरने के बाद मां ने कढ़ाई सिलाई का काम शुरू कर दिया, और बड़ी लड़कियों ने अपने घर में ट्यूशन करके जिंदगी की लड़ाई शुरू की लेकिन इशरत की मौत ने सब कुछ बदल दिया। मसर्रत की पढ़ाई छूट गयी क्योंकि उसकी मदद करने वाली उसकी आपी ही नहीं रहीं। आपी यानी इशरत गणित और साइंस की बहुत अच्छी जानकार थीं।
इशरत की मां का कहना है कि नासिक में 11 जून को जब पुलिस ने उनकी लड़की को उठाया तो वह नौकरी की बातचीत के सिलसिले में गई थी। वहां से उसने फोन पर अपनी बहन को बताया था कि कुछ अजीब हुलिया के लोग मेरा पीछा कर रहे हैं। उसके बाद कोई खबर नहीं मिली। सीधे 16 तारीख को न्यूज चैनलों पर उसके मारे जाने की खबर सुनी गई। परिवार का कहना है कि गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य के पुलिस अफसरों की जो जांच चल रही है वह लीपापोती कर सकती है। पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट और तमांग की रिपोर्ट से साफ हो गया है कि इशरत की हत्या की गई है। इसलिए वे सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना करेंगे कि वह अपनी निगरानी में मामले की पूरी जांच सी.बी.आई से करवाएं। गुजरात सरकार, गुजरात पुलिस और नरेंद्र मोदी के संगी साथियों ने जांच में अड़ंगा लगाने की पूरी कोशिश की है। इसलिए जांच इस तरह से हो जिसमें नरेंद्र मोदी के शुभचिंतक कोई अड़ंगा न डाल सकें।
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